Supreme God is Kabir Lord Kabir Our Savior पाप विनाशक कबीर प्रभु सम्पूर्ण शांति दायक, कविरंघारिसि = कबीर परमेश्वर (अंघ) पाप का (अरि) शत्रु (असि) है अर्थात् पाप विनाशक कबीर है। बन्धन का शत्रु अर्थात् बन्दी छोड़ कबीर परमेश्वर है। - यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 ♦️14 जून कबीर प्रकट दिवस के उपलक्ष्य में जरूर जानें अद्भुत बातें♦️ कबीर परमेश्वर जी का मानव समाज को विशेष संदेश हम सभी जानते हैं कि कबीर साहेब आज से लगभग 600 वर्ष पहले इतिहास के भक्तियुग में जुलाहे की भूमिका निभाकर गये। जिनको हम सभी संत कबीर के नाम से जानते हैं परन्तु वास्तव में कौन हैं? इससे आज भी हम अपरिचित है इन सब से परिचित होने के लिए हमे हमारे धर्म ग्रन्थों को देखना होगा और इस सच को स्वीकार करना होगा कि कबीर साहिब ही पूर्ण परमात्मा है जिनका प्रमाण हमारे धर्मग्रंथों में है परमात्मा कबीर स्वयं ही पूर्ण परमात्मा का संदेशवाहक बनकर आते हैं और अपना तत्वज्ञान सुनाते हैं। 600 साल पहले कबीर साहेब जी ने भोली-भाली जनता को नकली पाखंडी, गुरुओं, पंडितों व संतों के बारे में बताया कि- लाडू लावन लापसी, पूजा चढ़े अपार। पू...
कादर अल्लाह यथार्थ ज्ञान बताता है। शैतान (जिसे महापुरूषों ने ‘‘काल’’ कहा है) गुप्त रहता है। गुप्त रूप से अज्ञान व ज्ञान का मिश्रण मानव को देता है जो अधूरा अध्यात्म ज्ञान है। समर्थ परमेश्वर संत व सतगुरू के रूप में प्रत्यक्ष प्रकट होकर यथार्थ संपूर्ण अध्यात्म ज्ञान अपने मुख से बोलकर बताता है। परंतु सर्व मानव ने एक बात की रट लगा रखी है कि प्रभु निराकार है जबकि सर्व धर्मों के पवित्र ग्रन्थों में प्रमाण है कि खुदा मानव जैसा साकार है। हजरत मुहम्मद जी मांस नहीं खाते थे। गरीब, नबी मुहम्मद नमस्कार है, राम रसूल कहाया। एक लाख अस्सी कूं सौगंध, जिन नहीं करद चलाया।। संत गरीबदास जी ने कहा है कि नबी मुहम्मद जी को मेरा नमस्कार (सलाम) है। वे (राम) अल्लाह के (रसूल) संदेशवाहक कहलाए। बाबा आदम से लेकर अंतिम नबी हजरत मुहम्मद जी तक एक लाख अस्सी हजार नबी हुए हैं तथा जो उनके अनुयाई उस समय थे, कसम है उन्होंने छुरी चलाकर जीव हिंसा नहीं की। बाईबल तथा कुरआन का ज्ञानदाता एक है। जिस अल्लाह ने ''कुरआन‘‘ का पवित्र ज्ञान हजरत मुहम्मद पर उतारा। उसी ने पाक ''जबूर‘‘ का ज्ञान हजरत दाऊद पर, पाक...
एक अधम शाह नाम का फकीर था। उसने बलख शहर से कुछ दूर एक कुटिया बना रखी थी। शहर में घूमने-फिरने आता था। एक दिन उसने बलख के बादशाह की इकलौती बेटी को देखा। वह युवा तथा सुंदर थी। अधम शाह के मन में दोष उत्पन्न हो गया और राजा के पास जाकर कहा कि इस लड़की का विवाह मेरे से कर दो। राजा हैरान रह गया। फकीर कहीं शाॅप न दे दे, इसलिए डर भी गया। अचानक हाँ या ना नहीं कह सका, कल आने को कहा। मंत्रियों को पता चला। एक राय बनी कि कल उसे कह देंगे कि राजा की लड़की से विवाह करने के लिए मोतियों का एक हार लाना पड़ता है या सौ मोती लाने होते हैं। अन्यथा विवाह नहीं होता। अगले दिन फकीर को यह शर्त बता दी गई। फकीर मोती लेने चला। किसी ने बताया कि मोती तो समुद्र में मिलते हैं। समुद्र के किनारे जाकर अपने करमण्डल (लोटे) से समुद्र का जल भरकर कुछ दूरी पर रेत में डालने लगा। कई दिन तक भूखा-प्यासा इसी प्रयत्न में लगा रहा। शरीर भी समाप्त होने को आया। जो भी देखता, वही कहता कि अल्लाह के लिए घर त्यागा था। अब नरक की तैयारी कर रहा है। समुद्र कभी खाली नहीं हो सकता। भक्ति कर। परमात्मा जिंदा बाबा के वेश में वहाँ प्रकट हुए त...
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