नाग पंचमी

नागपंचमी को सांप पंचमी क्यों नहीं कहा जा सकता? सरीसृप प्रजाति के प्राणी को पूजा जाता है, वह सर्प है किंतु नाग तो एक जाति है, जिनके अलग-अलग मत है- यक्षों की एक समकालीन जाति सर्प चिन्ह वाले नागों की थी, यह भी दक्षिण भारत में पनपी थी। नागों ने लंका के कुछ भागों पर ही नहीं, वरन प्राचीन मालाबार पर अधिकार जमा रखा था। 
 
रामायण में सुरसा को नागों की माता और समुद्र को उनका अधिष्ठान बताया गया है। महेंद्र और मैनाक पर्वतों की गुफाओं में भी नाग निवास करते थे। हनुमानजी द्वारा समुद्र लांघने की घटना को नागों ने प्रत्यक्ष देखा था। 
 
नागों की स्त्रियां अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध थी। रावण ने कई नाग कन्याओं का अपहरण किया था। प्राचीन काल में विषकन्याओं का चलन भी कुछ ज्यादा ही था। इनसे शारीरिक संपर्क करने पर व्यक्ति की मौत हो जाती थी। ऐसी विषकन्याओं को राजा अपने राजमहल में शत्रुओं पर विजय पाने तथा षड्यंत्र का पता लगाने हेतु भी रखा करते थे।
संसार के अधिकतर लोग अंधविश्वास और मान्यताओं के कारण पुण्य-पाप और सही-गलत के भय में  भ्रमित जीवन जी रहे हैं जिसके कारण उनके दैनिक कर्मों में अनेकों प्रकार की त्रुटियाँ हो रही है और उनका जीवन दिन-प्रतिदिन अधिक संघर्षमयी हो रहा है | व्यक्ति को पुस्तकों और इन्टरनेट पर सरलता से सभी प्रकार की जानकारी मिलती है परन्तु यह जानकारी  सम्पूर्ण ज्ञान नहीं है क्योंकि इसमें व्यक्ति को आध्यात्मिक प्रश्नों का उत्तर नहीं मिलता है |
कुछ मुख्य प्रश्न इस प्रकार है :- 1 परमात्मा साकार है या निराकार?
2 हम देवी देवताओं की इतनी भक्ति करते हैं फिर भी दुखी क्यों है?
3 शास्त्रों में किस प्रभु की भक्ति सर्व श्रेष्ठ बताई है?
4 पवित्र गीता जी में बताए अनुसार वह तत्वदर्शी संत कौन है?
5 पवित्र गीता ज्ञानदाता अपने से अन्य किसकी शरण में जाने को कह रहा है? आदि!

अपने भय और भ्रम से मुक्ति के लिए सभी को ऐसे सटीक ज्ञान एवं तार्किक दृष्टि की आवश्यकता है जो उन्हें अभी तक अन्य किसी भी प्रसिद्ध पुस्तक अथवा व्यक्ति द्वारा प्राप्त नहीं है केवल संत रामपाल जी महाराज के ज्ञान के अलावा।
पवित्र पुस्तक जीने की राह व ज्ञान गंगा अवश्य पढ़ें।

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