बाईबल

उपासकों के सर्व पापों को विनाश करने वाला है।आयत 59 :- अल्ल्जी खलकस्समावाति वल्अर्ज व मा बैनहुमा फी सित्तति अय्यामिन्सुम्मस्तवा अलल्अर्शि अर्रह्मानु फस्अल् बिही खबीरन्(कबीरन्)।।59।।भावार्थ है कि हजरत मुहम्मद को कुरान शरीफ बोलने वाला प्रभु (अल्लाह) कहरहा है कि वह कबीर प्रभु वही है जिसने जमीन तथा आसमान के बीच में जो भीविद्यमान है सर्व सृष्टी की रचना छः दिन में की तथा सातवें दिन ऊपर अपनेसत्यलोक में सिंहासन पर विराजमान हो (बैठ) गया। उसके विषय में जानकारी किसी(बाखबर) तत्वदर्शी संत से पूछोउस पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति कैसे होगी तथा वास्तविक ज्ञान तो किसी तत्वदर्शीसंत (बाखबर) से पूछो, मैं नहीं जानता।उपरोक्त दोनों पवित्रा 
धर्मों (ईसाई तथा मुसलमान) के पवित्रा शास्त्रों ने भीमिल-जुल कर प्रमाणित कर दिया कि सर्व सृष्टी रचनहार, सर्व पाप विनाशक, सर्वशक्तिमान, अविनाशी परमात्मा मानव सदृश शरीर में आकार में है तथा सत्यलोक मेंरहता है। उसका नाम कबीर है, उसी को अल्लाहु अकबिरू भी कहते हैं।आदरणीय धर्मदास जी ने पूज्य कबीर प्रभु से पूछा कि हे सर्वशक्तिमान ! आजतक यह तत्वज्ञान किसी ने नहीं बताया, वेदों के मर्मज्ञ ज्ञानियों ने भी नहीं बताया।इससे सिद्ध है कि चारों पवित्रा वेद तथा चारों पवित्रा कतेब (कुरान शरीफ आदि)झूठे हैं। पूर्ण परमात्मा ने कहा :-कबीर, बेद कतेब झूठे नहीं भाई, झूठे हैं जो समझे नाहिं।भावार्थ है कि चारों पवित्रा वेद (ऋग्वेद - अथर्ववेद - यजुर्वेद - सामवेद) तथापवित्रा चारों कतेब (कुरान शरीफ - जबूर - तौरात - इंजिल) गलत नहीं हैं।

 परन्तुजो इनको नहीं समझ पाए वे नादान हैं।“पूज्य कबीर परमेश्वर (कविर् देव) जी कीअमृतवाणी में सृष्टी रचना”विशेष :- निम्न अमृतवाणी सन् 1403 से {जब पूज्य कविर्देव (कबीर परमेश्वर)लीलामय शरीर में पाँच वर्ष के हुए} सन् 1518 {जब कविर्देव (कबीर परमेश्वर)मगहर स्थान से सशरीर सतलोक गए} के बीच में लगभग 600 वर्ष पूर्व परम पूज्यकबीर परमेश्वर (कविर्देव) जी द्वारा अपने निजी सेवक (दास भक्त) आदरणीयधर्मदास साहेब जी को सुनाई थी तथा धनी धर्मदास साहेब जी ने लिपिबद्ध की थी।परन्तु उस समय के पवित्रा हिन्दुओं तथा पवित्रा मुसलमानों के नादान गुरुओं(नीम-हकीमों) ने कहा कि यह धाणक (जुलाहा) कबीर झूठा है। किसी भी सद् ग्रन्थमें श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी तथा श्री शिव जी के माता-पिता का नाम नहीं है।ये तीनों प्रभु अविनाशी हैं इनका जन्म मृत्यु नहीं होता। न ही पवित्रा वेदों व पवित्राकुरान शरीफ आदि में कबीर परमेश्वर का प्रमाण है तथा परमात्मा को निराकारलिखा है। हम प्रतिदिन पढ़ते हैं। भोली आत्माओं ने उन विचक्षणों (चतुर गुरुओं)पर विश्वास कर लिया कि सचमुच यह कबीर धाणक तो अशिक्षित है तथा गुरु ज

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