कुरान

”पवित्रा बाईबल तथा पवित्रा कुरान शरीफ में सृष्टि रचना का प्रमाण“इसी का प्रमाण पवित्रा बाईबल में तथा पवित्रा कुरान शरीफ में भी है।कुरान शरीफ में पवित्रा बाईबल का भी ज्ञान है, इसलिए इन दोनों पवित्रा सद्ग्रन्थोंने मिल-जुल कर प्रमाणित किया है कि कौन तथा कैसा है सृष्टि रचनहार तथा उसकावास्तविक नाम क्या है।पवित्रा बाईबल (उत्पत्ति ग्रन्थ पृष्ठ नं. 2 पर, अ. 1ः20 - 2ः5 पर)छटवां दिन :- प्राणी और मनुष्य :अन्य प्राणियों की रचना करके 26. फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूपके अनुसार अपनी समानता में बनाएं, जो सर्व प्राणियों को काबू रखेगा। 27. तब परमेश्वर नेमनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर नेउसको उत्पन्न किया, नर और नारी करके मनुष्यों की सृष्टि की।29. प्रभु ने मनुष्यों के खाने के लिए जितने बीज वाले छोटे पेड़ तथा जितने पेड़ों में बीजवाले फल होते हैं वे भोजन के लिए प्रदान किए हैं, (माँस खाना नहीं कहा है।)सातवां दिन :- विश्राम का दिन :परमेश्वर ने छः दिन में सर्व सृष्टि की उत्पत्ति की 
तथा सातवें दिन विश्राम किया।पवित्रा बाईबल ने सिद्ध कर दिया कि परमात्मा मानव सदृश शरीर में है, जिसनेछः दिन में सर्व सृष्टि की रचना की तथा फिर विश्राम किया।पवित्रा कुरान शरीफ (सुरत फुर्कानि 25, आयत नं. 52, 58, 59)आयत 52 :- फला तुतिअल् - काफिरन् व जहिद्हुम बिही जिहादन् कबीरा(कबीरन्)।।52।इसका भावार्थ है कि हजरत मुहम्मद जी का खुदा (प्रभु) कह रहा है कि हे पैगम्बर !आप काफिरों (जो एक प्रभु की भक्ति त्याग कर अन्य देवी-देवताओं तथा मूर्ति आदि कीपूजा करते हैं) का कहा मत मानना, क्योंकि वे लोग कबीर को पूर्ण परमात्मा नहीं मानते।आप मेरे द्वारा दिए इस कुरान के ज्ञान के आधार पर अटल रहना कि कबीर ही पूर्ण प्रभु हैतथा कबीर अल्लाह के लिए संघर्ष 
करना (लड़ना नहीं) अर्थात् अडिग रहना।आयत 58 :- व तवक्कल् अलल् - हरिल्लजी ला यमूतु व सब्बिह् बिहम्दिही व कफाबिही बिजुनूबि िअबादिही खबीरा (कबीरा)।।58।भावार्थ है कि हजरत मुहम्मद जी जिसे अपना प्रभु मानते हैं वह अल्लाह (प्रभु)किसी और पूर्ण प्रभु की तरफ संकेत कर रहा है कि ऐ पैगम्बर उस कबीर परमात्मा परविश्वास रख जो तुझे जिंदा महात्मा के रूप में आकर मिला था। वह कभी मरने वालानहीं है अर्थात् वास्तव में अविनाशी है। तारीफ के साथ उसकी पाकी (पवित्रा महिमा)का गुणगान किए जा, वह कबीर अल्लाह (कविर्देव) पूजा के योग्य है तथा अपनेउपासकों के सर्व पापों को विनाश करने वाला है।आयत 59 :- अल्ल्जी खलकस्समावाति वल्अर्ज व मा बैनहुमा फी सित्तति अय्यामिन्सुम्मस्तवा अलल्अर्शि अर्रह्मानु फस्अल् बिही खबीरन्(कबीरन्)।।59।।

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