जन्माष्टमी
श्री कृष्ण जी का जन्म मथुरा में हुआ था जब कंस अपनी बहन देवकी की शादी अपने दोस्त वासुदेव के साथ करके उन्हें रथ पर विदाई करने पहुचा उसी समय आकाशवाणी हुई कि कंश तुम्हें देवकी का 8 वां पुत्र मारेगा।
उसी समय कंस ने देवकी और वासुदेव को बंदी बना लिया और कारागृह में डाल दिया और देवकी की 6 संतान को कंस ने मार दिया और सातवीं संतान बलराम था और आठवां श्री कृष्ण जी का जन्म हुआ जिनको रातों-रात महल भेज दिया वही उनकी परवरिश हुई।
जब श्रीकृष्ण जी का जन्म हुआ उस समय भाद्रपद आठम थी इसलिए जन्माष्टमी नाम दिया गया। भगवान श्रीकृष्ण जी विष्णु जी के अंश थे।
आध्यात्मिक तोर से देखा जाए तो भगवान श्रीकृष्ण जी अत्याचार के खिलाफ थे लेकिन उनके पास भी किसी तहसीलदार के पास जो पावर होती है वह उतना ही कर सकते हैं कलेक्टर का वो नहीं कर सकते हैं इसी प्रकार भगवान श्रीकृष्ण जी के पास भी सीमित शक्ति थी।
जैसे कोई व्यक्ति उम्र पुरी होने से पहले किसी कारण वश खत्म हो जाता तो श्रीकृष्ण जी जीवित कर देते थे मगर जिसकी उम्र पुरी हो जाती है उसे जीवित नहीं कर सकते थे जैसे श्रीकृष्ण जी कि बहन सुभद्रा का पुत्र अभिमन्यु चक्रव्यु में फस कर खत्म हो गया था श्रीकृष्ण जी जीवित नहीं कर पाए क्योंकि अभिमन्यु की मृत्यु उसी समय लिखी हुई थी उसकी उम्र उस समय समाप्त हो गई थी इसलिए श्रीकृष्ण जी जीवित नहीं कर पाए।
वह पुर्ण परमात्मा ही किसी मनुष्य कि उम्र बढ़ा सकता है जिनका हमारे पवित्र शास्त्रों में भी प्रमाण है।
पवित्र गीता जी का ज्ञान भी उस काल ब्रह्म ने श्री कृष्ण जी के अंदर प्रवेश होकर बोला था इसका प्रमाण इस प्रकार से है:- 1. गीता ज्ञान बोलते समय काल अर्जुन से कह रहा है कि हे अर्जुन में अभी प्रकट हुआ हुं जबकि श्रीकृष्ण जी पहले से ही अर्जुन के साथ थे।
2. गीता ज्ञान बोलते हुए काल गीता अध्याय 11 श्लोक 32 में कह रहा है कि हे अर्जुन में बढ़ा हुआ काल हुं जो सभी लोगों को खाने के लिए आया हूं। जबकि श्रीकृष्ण जी काल नहीं थे।
3. अपना विराट रूप दिखाते हुए काल कह रहा है कि हे अर्जुन जो रुप आज तु देख रहा है ये रुप ना आज से पहले किसी ने देखा ना आगे कोई देख पाएगा जबकि श्रीकृष्ण जी ने अपना विराट रूप कोरवो कि सभा में पहले ही दिखा चुके थे जब वो शांति दुत बनकर गये ओर दुर्योधन ने बंदि बनाने का आदेश दे दिया था आदि अनेक प्रमाण है जो सिंध करतें हैं कि गीता जी का ज्ञान श्री कृष्ण जी ने नहीं बोला था।
अधिक जानकारी के लिए पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा व जीने की राह अवश्य पढ़ें और हमेशा देखें साधना चैनल रात्रि 7:30 बजे से
Comments
Post a Comment