Supreme god

कबीर परमेश्वर (ळवक ज्ञंइपत) 1कबीर परमेश्वर जी का संक्षिप्त परिचयकबीर परमेश्वर चारों युगों में इस पृथ्वी पर सशरीर प्रकट होते हैं। अपनीजानकारी आप ही देते हैं। परमात्मा सत्ययुग में ‘‘सत्य सुकृत’’ नाम से, त्रोतामें ‘‘मुनिन्द्र’’ नाम से तथा द्वापर में ‘‘करूणामय’’ नाम से तथा कलयुग में‘‘कबीर’’ नाम से प्रकट होते हैं।सतयुग में सत सुकृत कह टेरा, त्रोता नाम मुनिन्द्र मेरा।द्वापर में करूणामय कहाया, कलयुग नाम कबीर धराया।।-स्वयं कबीर साहेब जीसतगुरु पुरूष कबीर हैं, चारों युग प्रमाण।झूठे गुरूवा मर गए, हो गए भूत मसान।।अनन्त कोटि ब्रह्मण्ड का, एक रति नहीं भार।सतगुरू पुरूष कबीर हैं, कुल के सिरजनहार।।

हम सुल्तानी नानक तारे, दादू को उपदेश दिया।जाति जुलाहा भेद न पाया, काशी मांही कबीर हुआ।।-सन्त गरीब दास साहेब जीजिन मोकूं निज नाम दिया सोई सतगुरू हमार।दादू दूसरा कोई नहीं कबीर सिरजनहार।।-सन्त दादू दास साहेब जीतेरा एक नाम ता
रे संसार, मैं येही आश ये ही आधार।फाई सुरति मुल्की वेश, ये ठगवाड़ा ठग्गी देश।खरा सियाणा बहुते भार, धाणक रूप रहा करतार।।(गुरू ग्रंथ साहेब पृष्ठ 24)हक्का कबीर करीम तू, बे एब परवरदिगार।(गुरू ग्रंथ साहेब पृष्ठ 721)अंधुला नीच जाति परदेशी मेरा, खिन आवै तिल जावै,जाकि संगति नानक रहंदा, क्योंकर मोंहडा पावै।(गुरू ग्रंथ साहेब पृष्ठ 731) -नानक देव 


साहेब जीबोलत रामानन्द जी सुनो कबीर करतार,गरीब दास सब रूप में तुम ही बोलनहार।दोहूं ठौर है एक तू भया एक से दो,गरीबदास हम कारणे आए हो मग जोय।।यहां केवल कलयुग में परमेश्वर कबीर जी की कुछ लीलाओं का वर्णन

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