कबीर साहेब भगवान है





पाप विनाशक कबीर प्रभु
- यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32सम्पूर्ण शांति दायक, कविरंघारिसि = कबीर परमेश्वर (अंघ) पाप का (अरि) शत्रु (असि) है अर्थात् पाप विनाशक कबीर है। बन्धन का शत्रु अर्थात् बन्दी छोड़ कबीर परमेश्वर है।
- यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32



ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 - 3 में स्पष्ट है कि यदि रोगी की जीवन शक्ति नष्ट हो गई हो और रोगी मृत्यु के समीप पहुंच गया हो तो भी परमात्मा उसको सही करके सौ वर्ष की आयु प्रदान करता है।

Comments

Popular posts from this blog

कबीर प्रकट दिवस14जून

कुरान

Adham