नशा नाश का कारण है
शराब पीने वाले तथा परस्त्री को भोगने वाले, माँस खाने वालों के सत्तर जन्म तक मानव या बकरा-बकरी, भैंस या मुर्गे आदि के जीवनों में सिर कटते हैं।
सुरापान मद्य मांसाहारी। गमन करै भोगै पर नारी।।
सत्तर जन्म कटत है शीशं। साक्षी साहेब है जगदीशं।।
खू नाम खून का तमा नाम गाय
सौगंध सौ बार इसको जो खाय
तंबाकू का नशा समाज में व्याप्त सबसे बड़ी बुराई है इससे हमारे कमलों में बैठे देवता रुष्ठ होते हैं जिससे हमें भक्ति का लाभ नहीं मिलता है
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