भगति
सवा लाख पौत्रा थे। वर्तमान में उसके कुल (वंश) में कोई घर में दीप जलाने वालाभी नहीं है। सब नष्ट हो गए। इसलिए हे मानव! परमात्मा से यह क्या माँगता हैजो स्थाई ही नहीं है। यह अध्यात्म ज्ञान के अभाव के कारण प्रेरणा बनी है।परमात्मा आप जी को आपका संस्कार देता है। आपका किया कुछ नहीं हो रहा।उस वृद्ध की बात को मानें कि पुत्रा के होने से वंश वृद्धि होने से संसार में नामबना रहता है। एक गाँव में प्रारम्भ में चार या पाँच व्यक्ति थे। उनके वंश के सैंकड़ोंपरिवार बने हैं। उनका वंश चल रहा है। उनका संसार में नाम भी चल रहा है।परंतु शास्त्रोक्त विधि से भक्ति न करने के कारण परमात्मा के विधानानुसार वहभला पुरूष कहीं गधा बनकर कष्ट उठा रहा होगा। वहाँ पर गधे के वंश की वृद्धिकरके फिर कुत्ते का जन्म प्राप्त करके वहाँ उस कुल की वृद्धि करके अन्य प्राणियोंके शरीर प्राप्त करके असंख्यों जन्म कष्ट उठाएगा। भावार्थ है कि मानव जीवनप्राप्त प्राणी को चाहिए कि सांसारिक कर्तव्य कर्म करते-करते आत्म कल्याण काकार्य भी करे। जिस कारण से परिवार से आने वाली पूर्व पाप की मार भी टलेगी,परिवार खुशहाल रहेगा। अन्यथा शुभ-अशुभ दोनों कर्मों का फल भोगने से कभीसुख तथा कभी दुःख का कहर भी झेलना पड़ता है।एक समय दास (लेखक) एक गाँव में तीन दिन का सत्संग-पाठ कर रहाथा। उसी परिवार का एक रिश्तेदार एक चार वर्ष के लड़के को साथ लिए आया।चर्चा में उसने बताया कि मुझे चार पुत्रा, दो पुत्रा संतान रूप में प्राप्त हुई। सबकाविवाह कर दिया। मेरे जैसा सुखी हमारे गाँव में शायद ही कोई था। फिर ऐसीनौबत आई कि दो वर्ष में घर उजड़ गया। दो बेटे मोटरसाईकिल पर ससुराल जारहे थे, दुर्घटना में भगवान के घर चले गए। उनकी पत्नी भी अन्य गाँव में विवाहदी। एक वर्ष पश्चात् एक पुत्रा को खेत में ट्यूबवैल पर रात्रि में सर्प ने डस लिया,मृत मिला। चौथा इस दुःख से हृदयघात से चल बसा। सब बहुऐं भी चली गई।पत्नी का मानसिक संतुलन बिगड़ गया। यह लड़का बड़ी लड़की का है जिसकेसहारे दिन काट रहा हूँ। बेटी को घर पर रखा है। प्रिय पाठकों से निवेदन है किविवेक से काम लें और मानव जीवन की सच्ची राह पकड़ें, भक्ति अवश्य करें। संतान होना या ना होना यह आपके पूर्व के कर्मों का फल है। यदि संतानको धर्म-कर्म का ज्ञान नहीं है तो वह चाहे कितनी ही नेक है, कभी न कभी गलतीकर ही देगी। वह सब पाप कर्मों के कारण होगा। एक व्यक्ति ने बताया कि मेराससुर चार एकड़ का जाट किसान था। उसने दिन-रात मेहनत करके कुल सोलहएकड़ जमीन खरीदकर बना ली यानि बारह एकड़ जमीन और मोल ले ली। चारलड़के थे और एक लड़की थी। सबकी शादी कर दी। साठ वर्ष की आयु में मेरेससुर जी को अधरंग मार गया। चारों लड़के भिन्न रहते थे।कुछ दिन बड़े बेटे में रहा, परंतु 6 महीने में ही कपड़ों में बदबू आने लगी।फिर तीसरे नम्बर वाले के घर में रहा, कुछ दिन बाद उसने भी हाथ खड़े कर दिए।इस प्रकार चारों पुत्रा सेवा से तंग आ गए। गाँव की पंचायत ने मेरे ससुर जी कीमानव
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