भुल गए शिक्षा का महत्व
शिक्षा ही वह हथियार है जिससे देश का विकास सम्भव है और वर्तमान में जिस तरह की शिक्षा हमारे देश मे चल रही है उसमें सरकार को कुछ बदलाव लाने की ज़रूरत है। मौजूदा दौर में विशेष रूप से प्रारम्भिक शिक्षा पर ध्यान देने की ज़रूरत है ताकि बच्चों की नींव मज़बूत हो सके। वर्तमान समय में जिस तरह की शिक्षा व्यवस्था हमारे देश में चल रही है, वह कुछ हद तक संतोषजनक नहीं हैं। भारत की शिक्षा व्यवस्था में काफी बदलाव दिखे हैं परंतु कमियां भी उससे ज़्यादा दिखाई देती हैं।
किसी भी देश के विकास में शिक्षा का बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है। हमारे देश के विकास में भी शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान रहता है क्योंकि शिक्षा के बिना कुछ भी संभव नहीं है। बच्चों की नींव मज़बूत रहने पर वे आगे चलकर डॉक्टर, इंजीनियर, आईएएस, आईपीएस, वैज्ञानिक तथा विभिन्न क्षेत्रों में उम्दा प्रदर्शन कर सकते हैं। भारत एक युवा देश है जहां की कुल आबादी में 65 प्रतिशत से ज़्यादा युवा हैं। ऐसे में यहां की शिक्षा व्यवस्था काफी दुरुस्त होनी चाहिए।
प्रारंभिक शिक्षा के महत्व को देखते हुए अगर वर्तमान में चल रही व्यवस्था पर नज़र डाली जाए तब गाँवों के बच्चों को बहुत सारी सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं। वर्तमान समय में गरीब बच्चों के लिए सरकार स्कूल तो मुहैया करा देती है लेकिन कई दफा पढ़ने के लिए उन्हें ज़रूरी सामग्रियां नहीं मिल पाती हैं। गाँवों के स्कूलों में शिक्षकों की क्या हालत है यह सभी को पता है, इसलिए सरकार को चाहिए कि इस दिशा में वह ज़रूर पहल करें ताकि वहां के शिक्षक नियमित रूप से विद्यालय आएं। गाँवों के बच्चों को भी वह अवसर प्राप्त हो जो शहरों के बच्चों को मिलते हैं। सरकार की कोशिशों से शहर के बच्चों की तरह गाँवों के स्कूलों के बच्चे भी सफल हो पाएंगे। वह भी अपने सपनों को साकार कर पाएंगे। ज्ञान का अंतिम लक्ष्य ‘चरित्र निर्माण’ ही होना चाहिए। जब तक शिक्षा के कुछ उद्देश्य निर्धारित नहीं होंगे, तब तक शिक्षा प्रणाली में कोई सुधार नहीं हो सकता।
वर्तमान में शिक्षा में कोई ला सकता है तो वो है संत रामपाल जी महाराज जिनके बताए मार्ग पर चल कर छोटे से लेकर बड़े तक सभी शिक्षा के महत्व को समझ सकते हैं।
ओर जानकारी के लिए पढ़ें पुस्तक जीने की राह।
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